परती पर भविष्य उपजाने की जिद, गांवों में ही स्वरोजगार की तैयारी
जिन हालात में लाखों लोग उत्तराखंड से पलायन को विवश हुए थे, हालात अब भी वही हैं। कठिन भौगोलिक क्षेत्र होने के कारण पहाड़ी, पथरीली, परती जमीन और बुनियादी सुविधाओं का अभाव। किंतु अब इन्हीं प्रतिकूलताओं को मात देकर परती पर भविष्य उपजाने में जुट गए हैं। उत्तरकाशी जिले के थाती-धनारी निवासी मनोज शाह बीते 16 मार्च को गांव लौटे हैं। लॉकडाउन में सबसे पहले उन्होंने अपने परती पड़े खेतों की दशा सुधारी और फिर उनमें धान, मंडुवा और दाल की बुआई की। सब्जियों के लिए भी घर के पास ही क्यारियां तैयार की हैं। मशरूम उत्पादन के अलावा गांव के पास ही दुकान खोलने की तैयारी भी कर रहे हैं। ताकि गांव के अन्य युवाओं को भी रोजगार से जोड़ सकें।